सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा;
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा;
ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे;
सारी महफ़िल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा!
भूलने लगे
पी के रात को हम उनको भूलने लगे;
शराब में गम को मिलाने लगे;
दारु भी बेवफ़ा निकली यारों;
नशे में तो वो भी याद आने लगे।
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उसके चेहरे पर इस कदर नूर था;
कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था;
बेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़;
प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।
कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था;
बेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़;
प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।
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